आप अक्सर वैकुण्ठ धाम के बारे में सुनते आए होंगे। वैकुण्ठ धाम एक ऐसा जगह है जहां कर्महीनता नहीं है, हाताश नही है। अकसर आप ये भी सुनते आए होने की मृत्यु हो जाने के बाद अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति स्वर्ग या वैकुंठ जाते हैं। हालांकि, वेद यह नहीं बोलते की मृत्यु हो जाने में बाद व्यक्ति स्वर्ग या वैकुंठ जाते हैं। लेकिन आज हम आपको इस लेख के माध्यम से वैकुंठ धाम कहां है और वह कैसा है? इस बारे में पुराने धारणाओं के अनुसार बताएंगे। तो आइए जानते है कहा है वैकुंठ धाम ?
हिन्दू रिलीजन के मुताबिक, कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर शिव जी, ब्रह्मलोक में ब्रह्मदेव रहते है। ठीक उसी प्रकार से यह भी बताया जाता है कि, विष्णु जी का निवास स्थान वैकुंठ है । जहां वैकुंठ लोक के जगह के बारे में तीन जगहें बताई गई है। एक धरती दूसरा समुद्र और तीसरा स्वर्ग पर । वैकुंठ धाम विष्णुलोक व वैकुंठ सागर भी पुकारते है । वही श्रीकृष्ण जी के बाद इसे गोलोक भी कहा जाने लगा। क्योंकि श्रीकृष्ण जी विष्णु जी का ही अवतार है। इसीलिए श्रीकृष्ण जी के निवास स्थान को भी वैकुंठ कहा जाता है। आगे हम आपको विस्तार से तीनो जगहों के बारे में बताएंगे।
प्रथम वैकुंठ धाम
आप बद्रीनाथ, जगन्नाथ तथा द्वारिकापुरी नाम सुने होंगे। आपकी जानकारी के लिए बता देर की इन तीनो जगहों को भी वैकुंठ धाम कहा जाता है। चारों धामों में से एक बद्रीनाथ, नर तथा नारायण पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ हैं । अलकनंदा नदी के तट पर नीलकंठ पर्वत श्रृंखला पर मौजुद है। इंडिया के उत्तर दिशा में स्थित यह टेंपल विष्णु जी का दरबार माना जाता है। बता दे की, बद्रीनाथ धाम में श्री बद्रीनारायण जी के पांच स्वरूपों की पूजा – आराधना होती है। जिसे पंच बद्री भी कहा जाता है। वही जगन्नाथ मन्दिर को भी वैकुंठ धाम कहा जाता है। जहा पुराणों में धरती के वैकुंठ के नाम से चिन्हित जगन्नाथ पुरी का टेंपल पूरी दुनिया में मशहूर है, यह टेंपल पूरी में स्थित है।
दूसरी वैकुंठ धाम
इस वैकुंठ धाम की जगह के बारे में धरती के बाहर बताई गई है। इसे ब्रह्मांड से बाहरी तथा तीन लोकों से ऊपर बताया गया है। यह धाम नजर आने वाली प्रकृति से तीन गुना बड़ा है। जिसकी देखभाल के लिए भगवान के छियांब्बे करोड़ पार्षद रहते हैं। जहा इस नेचर से मुक्त होने वाली सभी जीवात्मा इसी परमधाम में शंख, चक्र, गदा के संग प्रविष्ट होती है। जहा से वो जीवात्मा वापस नहीं होती। यहां श्री विष्णु जी अपनी चार पटरानियों श्रीदेवी, भूदेवी, नीला तथा लक्ष्मी जी के संग रहते है। इस बैकुंठ धाम के बारे में ऐसा बताया जाता है की, मृत्यु होने के उपरांत विष्णु जी के भक्त की पुण्यात्मा यहां पहुंचती है। पुराण के मुताबिक, इस वैकुंठ धाम की स्तिथि ब्रह्मांड के उपर है।
तीसरी वैकुंठ धाम
श्रीकृष्ण जी ने द्वारिका के बाद एक और जगह बसाया था। जहा कुछ इतिहासकार के अनुसार , अरावली की पहाड़ी श्रृंखला पर यह वैकुंठ धाम बसाया गया था। जहां पर कोई मनुष्य नहीं केवल साधक ही निवास करते थे। इंडिया की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। यह सबसे पुरानी पर्वत है। कहा जाता है कि, यहीं पर श्रीकृष्ण जी ने वैकुंठ नगरी बसाई थी। राजस्थान में यह पहाड़ नैऋत्य डायरेक्शन से आते हुए ईशान डायरेक्शन में लगभग दिल्ली तक पहुंचा है। राजस्थान स्टेट के पूर्वोत्तर क्षेत्र से जाती हुई पांच सौ साथ किलोमीटर इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियां दिल्ली के साउथ भाग में भी हैं।
