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niranjan kumar success story
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कभी बेचते थे खेनी,गरीबी में दिन काट कर बन गए IAS ऑफिसर

कहते है ना अगर इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने की चाहत है तो वह एक ना एक दिन अपने लक्ष्य को पूरा कर ही लेता है। लेकिन वो मेहनत एक सही दिशा में होनी चाहिए। यदि सिद्दत और लगन से परिषर्म की जाए तो इन्सान अपने हर सपने को आसानी से पूर्ण कर सकता है। इसी से संबंधित आज हम आपको एक ऐसी सफलता की दास्तां बताने वाले है। जिसे जानने के बाद आप भी प्रेरित हो जायेंगे और अपने सपने को साकार करने में लग जायेंगे। जी हां! हम जिस व्यक्ति की कहानी आज आपको इस लेख के माध्यम से बताने वाले है। उसके लिए यह सपना साकार करना इतना आसान नहीं था।

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गरीबी से लड़ कर बन गए आईएस ऑफिसर निरंजन कुमार 

परंतु उसने अपने सपने को साकार करने के लिए हर मुश्किल को पार कर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया। तो आईए जानते हैं, इस व्यक्ति के बारे में जिसने मेहनत और लगन से अपने सपने को साकार कर लिया। यह कहानी नवादा जिले के निरंजन कुमार की है। जिन्होंने अपनी जिंदगी में गरीबी सहते हुए अपने लक्ष्य को साकार किया। उन्होंने इन सब परेशानियों को भूलकर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया और आईएएएस बनने का सपना पूरा किया। निरंजन कुमार के घर की माली हालत बिलकुल भी ठीक नहीं थी। उनके पिता अरविंद कुमार की एक छोटी सी खैनी की शॉप थी।

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जिससे उनके घर का गुजार बसर होता था। जहां दो वक्त की रोटी इक्कठा करने में काफी दिक्कत होती थी लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बेटे को अफसर बनाने जा सपना देखा। वही जब महामारी का दौर आया था। उस दौरान उनकी खैनी की शॉप बंद हो गई थी। इस बीच उनके परिवार वालो को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं उनके इस दुकान से महीने में पांच हजार तक की कमाई हो जाती थी। जिससे उनके पूरे घर का खर्च चलता था। वही दुकान बंद हो जाने के कारण निरंजन कुमार के घर की स्थिति और खराब हो गई लेकिन उन्होंने कई भी इन मुश्किल हालात से डरा नहीं।

कभी करते थे पान के खोखे पर काम 

वो जी जान लगाकर दिन रात एक कर अपनी मेहनत जारी रखे। निरंजन कुमार की एजुकेशन पर उनके पिता ने हमेशा ध्यान दिया। वर्ष 2004 में जवाहरलाल नवोदय विद्यालय रेवर नवादा से दस की परीक्षा पास करने के बाद। उन्होंने साल 2006 में साइंस कॉलेज पूर्व से बारहवीं पास किया। जिसके बाद निरंजन कुमार ने बैंक से चार लाख का लोन लिया और आईआईटी – आईएसएम धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। वही साल 2011 में निरंजन कुमार को धनबाद में कोल इंडिया लिमिटेड में नौकरी मिल गई। जहा इस नौकरी से उन्होंने अपने लोन को चुकाया।

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निरंजन कुमार बेहद गरीब परिवार से थे और उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। वही निरंजन कुमार को यह बात अच्छे से मालूम था कि उनके पिता के पासइतना पैसा नहीं है कि वह दो बेटों व एक बेटी की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेने में सक्षम हो। इन सब बातो को जानते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई काफी मेहनत और लगन से की। जहां नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा देकर वहां अपना दाखिला लिया। उन्होंने हर कठिन से कठिन परिस्थिति का डट कर सामना किया है। बता दें कि, निरंजन कुमार ने वर्ष 2017 में फर्स्ट टाइम टॉपसी की परीक्षा दी। इस एग्जाम में निरंजन कुमार का 728वां रैंक आया।

 

लेकिन वो जानते थे कि वह इससे भी ज्यादा अच्छा कर सकते है। इसलिए उन्होंने फिर से अपनी मेहनत और कोशिश शुरू कर दी। उन्होंने वर्ष 2020 में दूसरे प्रयास के साथ 535वां रैंक हासिल प्राप्त किया। जहां अपनी कठिन परिश्रम से हर मुश्किल को पार करते हुए अपने आईएएस का सपना निरंजन कुमार ने साकार किया। उनकी इस सफलता की कहानी से एक बात सीखने को मिलती है कि इंसान अगर चाहें कुछ कर गुजरने की तो। वो सभी मुश्किल हालात भूल अपने सपने को साकार कर लेता लेकिन यह मेहनत एक सही दिशा में होनी चाहिए।

About Pooja Singh

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