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ये है भारत का आखरी रेलवे स्टेशन ,सब कुछ है यहाँ अंग्रेजो के ज़माने के

आज के समय में काफी कम लोगो को पुरानी बाते याद है। जहां कई ऐसी इतिहास से जुड़ी बाते है जिसे आज के पीढ़ी में बहुत से लोगो को नहीं मालूम रहता है। देश में कई ऐसी जगह है, जिसके बारे में हम में से बहुत लोगो को बेहद कम जानकारी होगी। ऐसा ही कुछ हम आज आपको इस लेख के माध्यम से बताने वाले है। जिसके बारे में काफी कम लोगो को जानकारी होगी। जैसा की आप सब जानते है कही भी आने – जाने के हम रेलगाड़ियों से आते जाते है।

इस भारत के रेलवे स्टेशन के आगे शुरू होता है बांग्लादेश 

ऐसा ही एक बहुत पुराना रेलवे स्टेशन है। जिसका नाम है सिंहाबाद, जो बांग्लादेश से सटी हुई बॉर्डर पर इंडिया का लास्ट रेलवे स्टेशन है। जब भी आप बांग्लादेश जायेंगे और वहा से वापसी करेंगे तो इंडिया में प्रवेश करतें यह आपको पहला रेलवे स्टेशन मिलेगा। यह काफी साल पुराना है, जहां चीज़ आज भी वैसी ही है। जैसा अंग्रेज आज से सत्तर वर्ष पूर्व उसे छोड़कर चले गए थे। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर क्षेत्र ने स्थित है। सिंहाबाद से कई व्यक्ति पैदल भी कई किलोमीटर दूर बांग्लादेश में घूमते हुए निकल पड़ते है। इसके बाद इंडिया का कोई और रेलवे स्टेशन नहीं है।

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ये काफी पुराना और छोटा स्टेशन है, जहां किसी भी प्रकार की कोई हलचल नहीं है। सिंहाबाद रेलवे स्टेशन के पास एक छोटा सा स्टेशन पर ऑफिस नजर आता है। इसके अजुबाजू में कुछ रेलवे के क्वॉर्टर हैं। इस रेलवे स्टेशन पर एम्प्लॉय भी कुछ ही है । यहां पर मौजूद रेलवे के बोर्ड पर लिखा है इंडिया का लास्ट रेलवे स्टेशन । जहा कुछ दूरी के बाद ही बॉर्डर समाप्त हो जाती है। और बंगलादेश लग जाता है। जहा बांग्लादेश का फर्स्ट रेलवे स्टेशन रोहनपुर पड़ता है।

अब भी ये स्टेशन बिलकुल नहीं बदला 

हालांकि, ज्यादातर इंडिया का सिंहाबाद और बंगलादेश का रोहनपुर के इस रेलवे मार्ग पर माल गाडियां ही आती – जाती है। क्योंकि यात्रीगण बेहद कम ही जाते है। इंडिया से बांग्लादेश ही नहीं बल्कि नेपाल की तरफ जाने वाली रेल भी भारत के सिंहाबाद स्टेशन से निकलती है। बांग्लादेश से नेपाल को बड़े पैमाने पर खाद निर्यात होता है। जहा इन खाद को ले जाने वाली रेल बांग्लादेश के रोहनपुर स्टेशन से होते हुए। भारत के सिंहाबाद स्टेशन से होते हुए इस ट्रांजिट पॉइंट से गुजरती है।

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फिलहाल यह पर काफी समय से कार्य क्लोज हो रखा है। आजादी के बाद जब इंडिया और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ थे उसके बाद से ही यह स्टेशन सुनसान सा हो चुका है। वही जब साल 1971 में हुए विवाद के बाद जब बांग्लादेश बना तब इंडिया तथा बंगलादेश के मध्य यातायात स्टार्ट करने की डिमांड बढ़ने लग गई। जिसके बाद वर्ष 1978 में इंडिया तथा बांग्लादेश में सलाह होने के उपरांत इस रास्ते पर मालगाड़िया चलना प्रारंभ हो गई।

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