सफलता की कई ऐसी कहानियां सुनने को मिलती है। जिसे सुनने के बाद हर किसी के अंदर कुछ कर गुजरने का जज़्बा उमड़ पड़ता है। ऐसी ही एक सफलता की कहानी आज हम आपको बताएंगे। जिसे जानने के बाद आप भी अपने सपने पूरे करने के लिए उत्सुक हो जायेंगे। जैसा की आप सब जानते है कई बार सफलता प्राप्त होने से पहले असफलताये भी हाथ लगती है। लेकिन ये असफलताएं फिर से सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए अग्रसर करती है। ऐसी ही एक कहानी आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे। जिसे कई बार असफलता हाथ लगी है। लेकिन आखिरी में वो एक सफल व्यक्ति बन गया।
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कभी था पड़ाई में बहुत ज्यादा कमजोर
जिसने खुद अपनी सफलता की दस्ता एक इंटरव्यू के दौरान बयान की है। तो आईए जानते है इस सफलता की कहानी के बारे में। छतीशगढ़ विलासपुर के रहने वाले अभिषेक सर्राफ जो बचपन से पढ़ने में काफी कमजोर थे। जिनका मन बिलकुल भी पढ़ाई में नहीं लगता था। वही उनके माता – पिता का सपना था कि वो एक सरकारी नौकरी करे। लेकिन उनकी पढ़ाई को देख उनके पिता का दिल टूट जाता था। जहा वो अपने पिता से कहा करते थे की मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता कही किसी होटल में नौकरी लगवा दो। लेकिन उनके अभिषेक के पिता को उन पर भरोसा था की एक दिन वो ज़रूर कुछ बड़ा करेगा।
अभिषेक ने बताया कि, जब वो नौवीं कक्षा में थे तब फेल हो गए थे। जहा उनके शिक्षक ने उन्हें फिर से नौवीं कक्षा में पढ़ने की सलाह दी थी। उस दौरान उनके पिता किसी दूसरे स्कूल में उनका दाखिला करा दिए। जहा उन्होंने नौवीं और दसवीं की पढ़ाई की। अभिषेख ने आगे बताया कि , जब मैं दसवी कक्षा में था तब मेरे 48 प्रतिशत आए थे। जिसपर मेरे रिश्तेदार ने मेरे पिता को फोन कर बताया कि आपका बेटा तो फेल हो गया है। अभिषेक ने अपने पिता के बारे में बात करते हुए कहा कि, उनके पिता को उनसे काफी उम्मीद थी। जहा उनके पिता ने किसी अच्छे क्रिश्चियन स्कूल में उनका एडमिशन कराया।
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वहा से उन्होंने बारहवी की पढ़ाई की और 60 परसेंट से पास हुए। जिसके बाद उनके पिता ने उनको आईटीआई करा दिया। जिसके बारे में बात करते हुए अभिषेक ने कहा की उनका मन वहा भी पढ़ाई में नहीं लगता था। लेकिन जैसे – तैसे कर उन्होंने वहा भी अपनी पढ़ाई पूरी की। अभिषेक सर्राफ ने अपनी इन बातो को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, एक दिन मैंने अपने पिता को किसी रिश्तेदार से बात करते हुए सुना। जहा मेरे रिश्तेदार मेरे पिता से बोल रहे थे कि मेरा बेटा सरकारी नौकरी करने लगा है। उस दौरान मैंने भी अपने मन में अच्छे से पढ़ाई करने की ठानी और उसी दिन तय किया की मैं भी अपने पिता को खुशी दूंगा।
जिसके बाद अभिषेक एसएससी जीडी की पढ़ाई में लग गए लेकिन पहली बार उन्हे असफलता हासिल हुई । परंतु उन्होंने हार नहीं माना और फिर से तैयारी में लग गए। और दुबारा जब एसएससी जीडी का एग्जाम हुआ तो उन्हें सफलता हाथ लगी। जिसके बाद उन्होंने अपने पिता को यह खुशखबरी देकर उन्हें खुद पर गर्व महसूस करवाया। कहते है ना कि , अगर मेहनत पूरी लगन और सिद्दत से की जाए। तो एक ना एक दिन सफलता हाथ लगती ही है। जैसा विलासपुर के रहने वाले अभिषेक के साथ हुआ।
