Breaking News
Sawan Pradosh Vrat 2022

Sawan Pradosh Vrat 2022 : शिवजी के भगत सावन में इस दिन रखे व्रत तो भोले बाबा होगे खुश

सावन का महीना आते ही भक्त जन बाबा भोले नाथ की पूजा – अर्चना करने कई शिव मंदिर जाते है। जहा भोले बाबा की पूजा आरती कर उन्हे प्रसन्न करने कोशिश करते है। देश में कई ऐसी शिव मंदिर है, जहां लोग शिव जी दर्शन करने जाते है। ये पूरा सावन महीना बाबा भोले को ही समर्पित होता है। जहा सभी भक्त शंकर जी की विधिवत पूजा- आराधना करते है। वही महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है। यह व्रत हर महीने के पंद्रह दिन के बाद पढ़ता है। जैसा कि आप सब जानते होंगे महीने में पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष और पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष होता है। जहा बारह महीने में चौबीस प्रदोष व्रत होते हैं। यह प्रदोष व्रत भी शिव जी को समर्पण होता है। सावन महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की काफी अहम होता है।

पोस्ट को पड़ने के लिए धन्यवाद ,अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करे ताकि हमारा उत्साह बड सके .

सावन के महीने में व्रत रखने का है अलग ही महत्व 

जिसे भक्त जन काफी विधि विधान से करते है। तो आइए जानते हैं , इस सावन महीने में प्रदोष व्रत कब पद रहा है और कैसे इस व्रत को किया जाता है तथा क्या – क्या चीज़े भोले बाबा को चढ़ाया जाता है। तो चलिए जानते है, इस बारे में विस्तार से। पूरा एक माह सावन रहता है, जहा पंद्रह दिन पर कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष पढ़ता है। वही कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 25 जुलाई को है। पच्चीस जुलाई को दिन मंडे पर रहा है, जिसे सावन में सोमवारी भी कहते है।

sawan

इसलिए इस प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। सावन माह के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारम्भ होगा शाम के चार बजकर पंद्रह मिनट पर पच्चीस जुलाई को। कृष्ण त्रयोदशी समाप्त होगी शाम छह बजकर छियालिस मिनट पर 26 जुलाई को है। प्रदोष समय शाम साथ बजकर सत्रह मिनट से नौ बजकर बीस मिनट तक है। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 9 अगस्त को है। नौ अगस्त को मंगलवार है, इस दिन प्रदोष व्रत पड़ने को भौम प्रदोष व्रत कहा जायेगे। बात करे मुहूर्त की तो, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ होगी नौ अगस्त को पांच पैंतालिस पर।

प्रदोष व्रत रखने का है अलग ही महत्व 

और समाप्त होगी दो बजकर पंद्रह मिनट पर अगले दिन दस अगस्त को। प्रदोष काल का समय शाम सात बजे से रात नौ बजे तक रहेगी। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल का समय शाम के वक्त सूर्य ढलने से पैंतालिस मिनट पहले प्रारंभ हो जायेगा। इस दौरान पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में शंकर जी की आराधना करने से शुभ फल तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती है। प्रदोष व्रत की काफी मान्यता है, जहा भक्त इस व्रत को काफी विधि विधान से करते है। प्रदोष व्रत करने से संतान की सुख प्राप्त होती है।

प्रदोष व्रत को करने से शिव जी तथा पार्वती जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को करने के लिए सुबह जल्दी उठकर साफ – सफाई कर और स्नान कर साफ कपड़े पहने। तथा मंदिर में दीपक जलाए तथा शिव जी को गंगा जल से स्नान कराएं। और उन्हे फूल चढ़ाए। और साथ ही साथ माता पार्वती जी और गणेश जी की भी पूजा – अर्चना करे। पूजा में शंकर जी को घुप, अगरबत्ती, गुलाल, धतूरा, बेलपत्र, जनेऊ, फल आदि चीज़े शंकर जी को अर्पित करे । तथा विधिवत पूजा – अर्चना करे अगर संभव हो तो प्रदोष व्रत भी करे।

About Pooja Singh

I am blog writer and writing article last 2 years in many website. My aim write good article which are use full for all.