महामारी का दौर गुजरने के बाद अब देश को अल नीनो डरा रहा है। इस प्राकृतिक आपदा के वजह से इस वर्ष देश में सूखे जैसी हालात नजर आ रही है। इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज स्टडीज के निदेशक डीएस पई ने लोगो को जानकारी दी है। डीएस पई के मुताबिक, अल नीनो के वजह से मानसूनी बरसात की अवधि औसत से नब्बे परसेंट से कम होने की उम्मीद है। उन्होंने ने कहा कि, अल नीनो से जुड़े उच्च टेंपरेचर का असर एक वर्ष तक महसूस किया जा सकता है।
देश में पड़ सकता है सुखा इस साल
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज स्टडीज के निदेशक डीएस पई ने बताया कि, ” ला नीना के महज तीन वर्ष बाद इस वर्ष यानी 2023 में अल नीनो आने की उम्मीद है। देश में सौ से नीचे बरसात के मामले us दौरान थे । जब मानसून नब्बे से नीचे था। इसके कारण से 1952, 1965 और 1972 में इंडिया में सूखे का सामना किया था।” उन्होंने बताया कि, ला नीना अल नीनो का विपरीत प्रभाव है। जिसमें जलवायु की दिशा प्रशांत महासागर में सतही पानी के असामान्य रूप से गर्म होता है।
इससे इंडिया और इसके पड़ोसी देश में बारिश की कमी और सूखे से जुड़ी जानकारी मिलती रहती है। ऐसे में ये काफी चिंता करने वाली बात है, क्योंकि इंडिया की ज्यादे व्यक्तियों का जीवन कृषि पर निर्भर है। डीएस पाई ने कहा कि, ” संभावित अल नीनो प्रभाव के वजह से एक लंबी शुष्क अवधि देखने को मिल सकती है। यदि अल नीनो सर्दियों में काफी ज्यादा चरम सीमा पर है। और 2024 के वसंत के मौसम में जारी रहता है।
अल नीनो आ सकता है इस साल
तो फिर आने वाला वर्ष भी सबसे ज्यादा गर्म हो सकता है। यदि ये अल नीनो जारी रहा तो फिर साल 2024 में तापमान का रिकॉर्ड टूट सकता है। देश भर में टेंपरेचर इंक्रीज हो सकता है।” आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, भारत देश के कई हिस्सों में फरवरी महीने में ही काफी ज्यादा गर्मी पड़ने लगी है। जिससे भीषण गर्मी पड़ने की उम्मीद है।
वही भारत के पंजाब शहर में बीते कुछ दिन के दौरान सामान्य से ज्यादा की टेंपरेचर के कारण गेहूं उत्पादक किसानों की दिक्कते बढ़ गई है। टेंपरेचर अधिक होने के कारण गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा के भी आसार है। कृषि मंत्रालय के पूर्व सलाहकार बीएल मीणा ने कहा कि, अल नीनो के वजह से खराब मानसून का असर कृषि उत्पादन पर पड़ेगा।
